श्री राजीव दीक्षित जी की व्याख्यानमाला । : भाग-1 .
विषयः भारतीय आज़ादी का इतिहास: भाग-1
.
भारतीय आज़ादी का इतिहास: भाग-2 जल्दी ही आपको सुनने को मिलेगा ।
आपको ये व्याख्यान कैसा लगा? आपके विचार आमंत्रित हैं ।
गुरुवार, 4 जून 2009
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अति उत्तम पहल।
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ। यहाँ आता रहूँगा।
word verification रखा हो तो हटा दें। कष्टकारी है।
swagat hai........
जवाब देंहटाएंराजीव जी ,
जवाब देंहटाएंभावनात्मक और उद्देस में निहित इस सपने में मेरी और आपकी सहमति है.
आपकी भाषा शैली भी ओज पूर्ण है . आम जन को प्रभावित करने में .
लेकिन आपके दिए हुए कुछ तथ्यों में भयानक तथ्यात्मक गलतियाँ हैं , जिस से संभवतः आप मूर्ख नहीं तो हास्यास्पद ( या दोनों भी )साबित किये जा सकते है .
जो महत उद्देस आपने लिया है , फिर भी , सराहनीय है .
स्वाभिमान के बजाय अभियान या अवाहन कहें खुद को तो ज्यादा सही हो . क्योंकि इन लुटेरों के पहले ' हम देश वासियों का ' ka किया धरा भी एक शर्म ही है . उसका अभिमान भी उतना ही खतरनाक है .
..........जीतेंद्रिय वगैरह कह ' नयी ' लंगोट बंदी ' से भी बचें . आवाहन देश की नारियों , माँओं बहनॉ , बेटियों को भी दें . मजदूर किसानों को भी . समस्त समाज को !
और ये परमपूज्य 'जी' वगैरह का चक्कर हटा दीजिये तो ही ठीक. पोंगा पंथियों की ध्वनि आती है.
ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
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